भक्तिकाल की राजनैतिक व सामाजिक परिस्थितियाँ
राजनैतिक परिस्थितियाँ
भक्ति काल का समय संवत् 1400 (सन 1343) से संवत् 1700 (सन 1643) तक माना गया है । यह दौर युद्ध, संघर्ष और अशांति का समय है । मुहम्मद बिन तुगलक से लेकर शाहजहाँ तक का शासन काल इस सीमा में आता है ।
इस अवधि में तीन प्रमुख मुस्लिम वंशों-पठान, लोदी और मुगल का साम्राज्य रहा । छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने और साम्राज्य विस्तार की अभिलाषा ने युद्धों को जन्म दिया । इस राज्य संघर्ष परम्परा का आरम्भ सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक से शुरु हुआ । तुगलक के बाद सुलतान मुहम्मद शाह गद्दी पर बैठा । सन 1412 में उसकी मृत्यु के साथ तुगलक वंश समाप्त हुआ । इसके बाद लोदी वंश के बादशाहों ने साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया । अंतिम बादशाह इब्राहिम लोदी था, जिसका अंत सन् 1526 में हुआ । इसके बाद मुगल वंश का शासन आरंभ हुआ । जिसमें क्रमश: बाबर,हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर तथा शाहजहाँ ने राज्य किया ।
मुगलवंशीय बादशाह यद्यपि काव्य और कला प्रेमी थे, किंतु निरंतर युद्धों, अव्यवस्थित शासन-व्यवस्था और पारिवारिक कलहों से देश में अशांति ही रही । मुगलवंशीय शासकों में अकबर का राज्य सभी दृष्टियों से सर्वोपरि और व्यवस्थित रहा । इसका प्रभाव उसके उत्तराधिकारी शासकों पर भी रहा ।
सामाजिक परिस्थितियाँ
इस काल में हिंदु समाज की स्थिति अत्यंत शोचनीय थी । यह असहाय, दरिद्रता और अत्याचार की भट्टी में झुलस रहा था । स्वार्थवश या बलात्कार के कारण हिंदू मुस्लिम धर्म स्वीकार कर रहे थे । हिंदू कन्याओं का यवनों से बलात विवाह का क्रम चल रहा था । दास प्रथा भी प्रचलित थी । संपन्न मुसलमान हिंदू कन्याओं को क्रय कर रहे थे । कुलीन नारियों का अपहरण कराके अमीर लोग अपना मनोरंजन किया करते थे ।
परिणाम स्वरूप हिंदू जनता ने इस सामाजिक आक्रमण से बचने के लिए अनेक उपाय किए । बाल विवाह और परदा-प्रथा इस आक्रमण से बचने का ही उपाय था । वर्णाश्रम (जाति-प्रथा) सुदृढ़ हो गई थी । रोजी -रोटी के साधन छिन जाने से वह गरीब होता गया और जीविकोपार्जन के लिए मुसलमानों के सम्मुख आत्मसपर्पण
करता रहा ।
कालान्तर में मुस्लिम शासकों में सद्-भाव और सहिष्णुता के भाव जागे । इस प्रवृत्ति को सूफी साधकों का प्रश्रय प्राप्त था । इस्लाम प्रचार की यह विशेषता बन गई कि तलवार द्वारा आतंक उत्पन्न करने के बाद प्रेम की मरहम पट्टी बाँध दी जाए ।
इस प्रकार भक्तिकाल राजनीतिक दृष्टि से युद्ध, संघर्ष और अशांति का काल था । हिंदू-समाज पर होने वाले सामाजिक और आर्थिक अत्याचारों का समय था ।
आप की रचना 08 अक्टूबर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
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आभार
अनामिका
Right answer
हटाएंअच्छी जानकारी देती रचना |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
अच्छी जानकारी देती पोस्ट
जवाब देंहटाएंAccha likha h apnye
जवाब देंहटाएंMujhe acchaa laga ye jankari really I like it....
जवाब देंहटाएंMy experience is also very good 😍😍😍👍
जवाब देंहटाएंBahut achcha likha hai aapane
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है
जवाब देंहटाएं👍
जवाब देंहटाएंRitikal ka ke baare me v likhe
जवाब देंहटाएंBahut Achha
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंHum kin ka Tarif kar rahe hain in malicchon Ne Hamare Jameen per rahakar luteron ke Tarah Hamare bahan beti Bahu ke sath balatkar Karke Jinda Jala Diya jata tha Maar Diya jata tha aur Hamen Inka hi Tarif kar rahe hain Hame bahut hi sharm Ki Baat Hai Inka Tarif Nahin Inka Burai karna chahie
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