रीति ग्रंथकार कवि और उनकी रचनाएँ
संस्कृत में काव्यांग निरूपण शास्त्रज्ञ आचार्य करते थे, कवि नहीं । वे काव्यविवेचन के दौरान प्रसिद्ध कवियों की रचनाओं को उद्धृत करके अपनी बात समझाते थे । लेकिन रीतिकाल में रीति ग्रंथ लिखने वाले या काव्य पर विचार करने वाले आचार्य नहीं ,मूलत: कवि ही थे । इसलिए उन्होंने नायकों,नायिकाओं,रसों,अलंकारों,छंदों के विवेचन पर कम, इनके दिए गए लक्षणों के उदाहरणों के रूप में रचनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया । उन्होंने अन्य कवियों की रचनाओं के उदाहरण नहीं दिए बल्कि स्वयं काव्य रचा । इसलिए इस काल के रीति ग्रंथाकार आचार्य और कवि दोनों एक ही होने लगे । लेकिन इस संदर्भ में यह स्मरण रखना चाहिए कि ये दोनों कार्य , कवि-कर्म और आचार्य कर्म परस्पर विरोधी हैं । कवि के लिए भावप्रवण हृदय चाहिए वहीं आचार्य कर्म की सफलता के लिए प्रौढ़-मस्तिष्क और सर्वांग-पूर्ण संतुलित विवेचन शक्ति की अपेक्षा हुआ करती है । रीतियुगीन रीति-ग्रंथाकार पहले कवि है, आचार्य कर्म तो उसे परम्परावश और राजदरबार में रीतिशास्त्र के ज्ञान की अनिवार्यतावश अपनाना पड़ा ।
इस युग के प्रमुख रीतिग्रंथकार कवि और उनकी रचनाओं का विवरण हम नीचे दे रहे हैं :
इस युग के प्रमुख रीतिग्रंथकार कवि और उनकी रचनाओं का विवरण हम नीचे दे रहे हैं :
- केशवदास : ये रीतिकाल के प्रवर्त्तक कवि हैं । इनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं : - 1. कविप्रिया 2.रसिकप्रिया 3.चंद्रिका 4. रामचंद्रिका 5. चंद्रिका 6. विज्ञानगीता 7. रतनबावनी 8. जहाँगीरजस 9. वीरसिंह देव चरित । इनकी भाषा ब्रज है ।
- चिंतामणि : इनकी रचनाएँ हैं : 1. कविकुलकल्पतरु 2. पिंगल 3. काव्य-विवेक 4. काव्य-प्रकाश 5. रसमंजरी 6. श्रृंगार-मंजरी 7.रस-विलास 8. कृष्ण-चरित 9. कवित्तविचार 10. छंद-विचार पिंगल । (भाषा : ब्रज)
- मतिराम : इनकी मुख्य रचनाएँ हैं : 1. ललितललाम 2. छंदसार 3. रसराज 4. साहित्य सार 5. लक्षण श्रृंगार 6.मतिराम सतसई 7.फूलमंजरी 8.अलंकार पंचशिका (भाषा :ब्रज)
- भूषण : मुख्य रचनाएँ : 1. शिवराज भूषण 2.भूषण उल्लास 3. दूषण उल्लास 4. भूषण-हजारा 5.शिवा बावनी 6. छत्रसाल दशक । (भाषा ब्रज)
- भिखारीदास : मुख्य रचनाएँ : 1. काव्य-निर्णय 2. श्रृंगार निर्णय 3. रस-सारांश 4. शतरंज शतिका 5. शब्द नाम प्रकाश 6. विष्णु पुराण भाषा 7. छंदार्णव पिंगल ।
- देव : इनके मुख्य ग्रंथ हैं : 1.रस-विलास 2. भवानीविलास 3. भावविलास 4. कुशलविलास 5. जाति विलास 6. प्रेमपचीसी 7. प्रेम-तरंग 8. प्रेमचंद्रिका 9. काव्य रसायन ( भाषा ब्रज)
- पद्माकर : मुख्य रचनाएँ : 1.पदमाभरण 2. हिम्मत बहादुर 3. जगद् विनोद 4. प्रबोध पचीसी 5. राम रसायन 6. विनोद पचासा 7. गंगालहरी 8. यमुनालहरी । (ब्रज भाषा )
- अमीरदास : मुख्य रचनाएँ : 1.सभा मंडन 2. वृतचंद्रोदय 3. ब्रजराजविलास 4. सतसई 5. अमीर प्रकाश 6. वैद्यकल्पतरु 7. श्री कृष्ण साहित्य सिंधु (ब्रज भाषा )
- श्रीपति : मुख्य रचनाएँ : 1.कविकल्पद्रुम 2. सरोजकालिका 3. काव्य सरोज 4. विक्रम विलास 5. अनुप्रास विनोद 6. अलंकार गंगा ।
- कुलपति मिश्र : 1. संग्राम सार 2. रस-रहस्य 3.नखशिख 4.द्रोणपर्व 5. मुक्ति तरंगिणी ।
- सोमनाथ : 1. रसपीयूषनिधि 2. सुजानविलास 3. श्रृंगार विलास 4. पंचाध्यायी 5.कृष्णलीलावती 6. माधवविनोद
- निहाल कवि : साहित्य शिरोमणि ।
- तोष : सुधानिधि ।
- सुखदेव मिश्र : रसार्णव ।
- जसवंतसिंह : भाषा-भूषण
- दूलह : कविकुलकण्ठाभरण
- रसरूप : तुलसी भूषण
- कालिदास : वधू-विनोद, कालिदास हजारा
- सूरति मिश्र : काव्य-सिद्धांत
- वैरीसाल : भाषाभरण
- बेनी : नव रस तरंग
- रसिक गोविंद : रसिकगोविंदानंद घन ।
- प्रताप साहि :व्यग्यार्थ कौमुदी
रीति के लक्षण बद्ध कवियों के उपजीव्य संस्कृत ग्रंथ है : काव्य-प्रकाश, साहित्य दर्पण, रसमंजरी, चंद्रालोक और कुवलयानंद ।
दोनों कार्य , कवि-कर्म और आचार्य कर्म परस्पर विरोधी हैं । कवि के लिए भावप्रवण हृदय चाहिए वहीं आचार्य कर्म की सफलता के लिए प्रौढ़-मस्तिष्क और सर्वांग-पूर्ण संतुलित विवेचन शक्ति की अपेक्षा हुआ करती है ।
जवाब देंहटाएंबहुत गहन अद्द्यययन कर निचोड़ हमारे आगे प्रस्तुत किया है जो हमारे दिमागी भोजन के लिए बहुत अनिवार्य भोजन है.
बहुत बहुत शुक्रिया. आभारी हूँ आपकी.
आपकी पोस्ट बड़ी शोधपरक है.... इतनी जानकारी ... इस विषय इतना कुछ बताया ..... आभार
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जवाब देंहटाएंबहुत ही उच्च कोटि का लेख लिखा है आपने। मेरे लिए ये जानकारी सर्वथा नयी है। इस बहुमूल्य जानकारी को उपलब्ध कराने के लिए आपका आभार।
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जवाब देंहटाएंkai bihari kyu nahi hai
जवाब देंहटाएंRitikal ke kabi kaun hai
जवाब देंहटाएंHa koi
हटाएंअपनी कविताएँ पेश करना चाहता था कोई watsapp ग्रुप है क्या , साथ ही यह जानकारी अत्यंत ही महत्वपूर्ण है ।
जवाब देंहटाएंGood information g...thanks
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंThank you
जवाब देंहटाएंGaribi das and bhikhari das ji hame kabhi nhi bhulenge board ke paper me jarur likhunga
जवाब देंहटाएंKonsi kriti reetikal me likhi gyi h
जवाब देंहटाएंSaket
Vinay patrika
Bihari satsai
Prithviraj raaso
Plzz jinhe answer malum h hume btaaye
बिहारी सतसंई
हटाएंBhut acchi jankari h....dhnayvad ji
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया इस महत्त्वपूर्ण जानकारी को हमें प्रदान करने के लिए
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