प्रगतिवादी कवि और उनकी रचनाएं
प्रगतिवादी कवियों को हम तीन श्रेणियों में रख सकते हैं: एक,वे कवि जो मूल रूप से पूर्ववर्ती काव्यधारा छायावाद से संबद्ध हैं, दूसरे वे जो मूल रूप से प्रगतिवादी कवि हैं और तीसरे वे जिन्होंने प्रगतिवादी कविता से अपनी काव्य-यात्रा शुरु की लेकिन बाद में प्रयोगवादी या नई कविता करने लगे। पहले वर्ग के कवियों में सुमित्रानंदन पंत,सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'(विशुद्ध छायावादी),नरेन्द्र शर्मा,भगवती चरण वर्मा,रामेश्वर शुक्ल 'अंचल',बच्चन की कुछ कविताएं(हालावादी कवि),बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',माखन लाल चतुर्वेदी,रामधारी सिंह 'दिनकर',उदयशंकर भट्ट,उपेन्द्रनाथ 'अश्क',जगन्नाथ प्रसाद 'मिलिंद'(राष्ट्रीय काव्य धारा) आदि हैं। जिन्होंने प्रगतिवादी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान दिया। मूल रूप से प्रगतिवादी कवियों में केदारनाथ अग्रवाल,रामविलास शर्मा,नागार्जुन,रांगेय राघव,शिवमंगल सिंह 'सुमन',त्रिलोचन का नाम उल्लेखनीय है। गजानन माधव मुक्तिबोध,अज्ञेय,भारत भूषण अग्रवाल, भवानी प्रसाद मिश्र,नरेश मेहता, शमशेर बहादुर सिंह,धर्मवीर भारती में भी प्रगतिवाद किसी न किसी रूप में मौजूद है,पर इन्हें प्रयोगवादी कहना ही उचित होगा।
यहां हम सभी प्रमुख प्रगतिवादी कवियों और उनकी प्रगतिवादी कृतियों का नामोल्लेख कर रहें हैं :-
- सुमित्रानंदन पंत(1900-1970) प्रगतिवादी रचनाएं: 1.युगांत 2.युगवाणी 3.ग्राम्या ।
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (1897-1962) प्रगतिवादी रचनाएं : 1. कुकुरमुत्ता 2. अणिमा 3.नए पत्ते 4. बेला 5.अर्चना।
- नरेन्द्र शर्मा(1913-1989): 1. प्रवासी के गीत 2.पलाश-वन 3. मिट्टी और फूल 4. अग्निशस्य।
- रामेश्वर शुक्ल अंचल(1915 -1996): 1.किरण-वेला 2. लाल चुनर।
- माखन लाल चतुर्वेदी(1888- 1970): 1.मानव
- रामधारी सिंह दिनकर(1908- 1974) : 1. कुरुक्षेत्र 2. रश्मिरथी 3.परशुराम की प्रतीक्षा।
- उदयशंकर भट्ट(1898- 1964): 1.अमृत और विष ।
- बालकृष्ण शर्मा नवीन(1897- 1960):1.कंकुम 2. अपलक 3.रश्मि-रेखा 4. क्वासि।
- जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद(1907-1986):1. बलिपथ के गीत 2. भूमि की अनुभुति 3.पंखुरियां।
- केदारनाथ अग्रवाल(1911-2000 ) :1. युग की गंगा 2. लोक तथा आलोक 3. फूल नहीं रंग बोलते हैं 4.नींद के बादल।
- राम विलास शर्मा(1912- 2000) :1.रूप-तरंग
- नागार्जुन(1910-1998) : 1.युगधारा 2.प्यासी पथराई 3.आंखे 4.सतरंगे पंखों वाली 5.तुमने कहा था 6. तालाब की मछलियां 7.हजार-हजार बांहों वाली 8.पुरानी जूतियों का कोरस 9. भस्मासुर(खंडकाव्य)।
- रांगेय-राघव(1923-1962) : 1.अजेय खंडहर 2.मेधावी 3. पांचाली 4. राह के दीपक 5.पिघलते पत्थर।
- शिव-मंगल सिंह सुमन( 1915- 2002 ) : 1. हिल्लोल 2.जीवन के गान 3.प्रलय सृजन।
- त्रिलोचन(1917- 2007 ) :1.मिट्टी की बात 2. धरती
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अच्छा संकलन!! सराहनीय प्रयास!!
जवाब देंहटाएंआपका यह पोस्ट ज्ञानवर्धक है । इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है । मेरे नए पोस्ट "हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन" पर ाके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!!!यही इस ब्लॉग का उद्देश्य है।
हटाएंUuu
हटाएंविश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने प्रगतिवादी साहित्य को लाल रंग में रँगे हुए साहित्य के रूप में ही देखा. बहुत अच्छा आलेख लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंvery nice
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हटाएंZara Pragatibadi upanyash Kar ke nam batayi please !
जवाब देंहटाएंBahut sunder
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंmitti ki barat kiski rachna h
जवाब देंहटाएंVery very nice
जवाब देंहटाएंSundar
जवाब देंहटाएंGud information
जवाब देंहटाएंYashpal ?
जवाब देंहटाएंThanks yeah bohot interesting hi
जवाब देंहटाएंCan you please share about mannulal sharma??
जवाब देंहटाएंWow good website, thank you.
जवाब देंहटाएंPeacock Design Chandua
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Nice
जवाब देंहटाएंAap ne bahut badhiya likha hai
जवाब देंहटाएंसूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 1899 में और मृत्यु 1961 में।
जवाब देंहटाएंनागार्जुन का जन्म 1911 में हुआ था।
जवाब देंहटाएंमाखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 1889 और मृत्यु 1968, कुछ भी पोस्ट करने से पूर्व हमें तथ्यात्मक जांच कर लेनी चाहिए।
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