छयावादी युग में हास्य व व्यंग्यात्मक काव्य का सृजन
छायावादी युग में हास्य व व्यंग्यात्मक काव्य रचनाओं का सृजन भी हुआ और इस विधा ने एक विशिष्ट रूप धारण किया। कुछ कवियों ने तो केवल हास्य-व्यंग्य की ही काव्य रचनाएं की जबकि अन्य कवियों ने प्रसंगवश या गद्य रचनाओं में इस प्रकार की व्यंग्यात्मक कविताएं रची। ' मनोरंजन ' पत्रिका के संपादक ईश्वरीप्रसाद शर्मा का नाम ऐसी कविता रचने में सर्वप्रथम स्थान पर है। ' मतवाला ',' गोलमाल ',' भूत ',' मौजी ',' मनोरंजन ' आदि पत्रिकाओं में इनकी हास्यरस से भरपूर कविताएं प्रकाशित हुई।इनके काव्य संकलन ' चना चबेला ' में तत्कालीन समाज , राजनीति और साहित्य पर बहुत ही रोचक ढ़ग से हास्य के रंग बिखेरे हैं।इस काव्य संकलन में खड़ी बोली और ब्रजभाषा दोनों की रचनाएं संकलित हैं। हरिशंकर शर्मा के ' पिंजरा-पोल ' तथा ' चिड़िया घर ' संग्रहों में समाज और धर्म में व्याप्त पाखंड तथा भ्रष्टाचार पर कलात्मक ढ़ग से तीखे व्यंग्य किए हैं। यद्यपि उनके ये काव्य-संकलन बहुत बाद में आए। पांडेय बेचन शर्मा ' उग्र ' का इस तरह की काव्य रचनाओं में एक