कृष्णभक्ति काव्य शाखा के अष्टछाप कवि और उनकी रचनाएँ

कृष्ण भक्ति शाखा के प्रचारकों में श्री वल्लभाचार्य का स्थान शीर्ष पर है । जैसा कि हम बता आए हैं कि इन्होंने शुद्धाद्वैतवाद की स्थापना की । इनकी उपासना की पद्धति पुष्टिमार्ग के नाम से जानी जाती है । पुष्टिमार्ग में भगवान के अनुग्रह को पाने पर सर्वाधिक जोर दिया गया है । वल्लभ संप्रदाय के इस पुष्टिमार्ग में अनेक भक्त कवियों ने दीक्षित होकर कृष्ण भक्ति का प्रसार किया । वल्लभाचार्य द्वारा प्रवर्तित पुष्टिमार्ग उनके पुत्र गोसाईं विट्ठलनाथ के प्रयत्नों से विकसित हुआ । विट्ठल नाथ ने सम्वत 1602 में अपने पिता वल्लभाचार्य के 84 शिष्यों में से चार तथा अपने 252 शिष्यों में से चार को लेकर आठ प्रसिद्ध भक्त कवि संगीतज्ञों की मंडली की स्थापना की । जो अष्टछाप के नाम से प्रसिद्ध है । ये आठों भक्त कवि दिन के आठों पहर क्रम से कृष्ण भक्ति का गुणगान करते थे । अष्टछाप के इन कवियों को वल्लभ संप्रदाय में कृष्ण के अष्टसखा भी कहा जाता है । वल्लभाचार्य के चार शिष्य थे : 1. सूरदास 2. कृष्णदास 3. परमानंद दास 4. कुंभनदास । गोस्वामी विट्ठलनाथ के चार शिष्य थे : 1. गोविंदस्वामी 2. छीत स्वामी 3. चतुर्भुजदास 4. नंददास । इनमें सबसे जयेष्ठ कवि कुंभनदास हैं जबकि कनिष्ठ कवि नंददास हैं । काव्य -सौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान सूरदास का है । इन कवियों का जीवन परिचय चौरासी वैष्णवन की वार्ता तथा दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता में प्राप्त होता है । इनकी मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं :-

  1. सूरदास : 1. सूर सारावली : इसमें 1103 पद हैं । 2. साहित्य लहरी 3. सूरसागर : इसमें 12 स्कंध हैं और सवा लाख पद थे किंतु अब 45000 पद ही मिलते हैं । इसका आधार श्रीमद भागवत पुराण है ।
  2. कुंभनदास : इनके फुटकल पद ही मिलते हैं ।
  3. कृष्णदास : 1. जुगलमान चरित्र 2. भ्रमरगीत 3. प्रेमतत्व निरूपण
  4. परमानंददास : 1. परमानंद सागर , इसके एक लाख पदों में से केवल 735 ही मिलते हैं ।
  5. गोविंद स्वामी : इनके भी फुटकल पद ही उपलब्ध हैं जो गोविंद स्वामी पद के नाम से अभिनीत हैं ।
  6. छीत स्वामी : इनके भी फुटकल पद उपलब्ध हैं ।
  7. चतुर्भुजदास :1.द्वादशयश 2. हितजू को मंगल 3. भक्तिप्रताप ।
  8. नंददास : 1. रासपंचाध्यायी 2. सिद्धांत पंचाध्यायी 3. अनेकार्थ मंजरी 4. मानमंजरी 5. रूपमंजरी 6. विरहमंजरी 7. भँवरगीत 8. गोवर्धनलीला 9. श्यामसगाई 10. रुक्मिणीमंगल 11. सुदामाचरित 12. भाषादशम-स्कंध 13. पदावली

टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ।
    लेकिन एक निवेदन है आपसे कि इन कवियो की रचनये के साथ रचना तिथी/सन् दे देते तो हम विधाथीॅयों के परिक्षा मे मागॅदशॅण मिल जायेगा ।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही अच्छी जानकारी।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. छीत स्वामी नहीं,
    क्षिति स्वामी है, पढ के लिखा कर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यह कोई संस्कृत का शब्द नहीं जनभाषा का संज्ञावाचक शब्द है।

      हटाएं
  5. षट् रितु की वार्ता के लेखक कौन हैं?

    जवाब देंहटाएं
  6. जानकारी बहुत अच्छी है लेकिन कुछ कवियों की कुछ रचनाएं छूट गयी हैं

    जवाब देंहटाएं
  7. can anyone tell me the book name(charitar) which has all details about these अष्टछाप कवि

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी का इंतजार है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्रयोगवाद के कवि और उनकी रचनाएं

आदिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ

छायावाद की प्रवृत्तियां