नई कविता की प्रवृत्तियां
प्रयोगवाद और नई कविता की प्रवृत्तियों में कोई विशेष अंतर नहीं दिखाई देता। नई कविता प्रयोगवाद की नींव पर ही खड़ी है। फिर भी कथ्य की व्यापकता और दृष्टि की उन्मुक्तता,ईमानदार अनुभूति का आग्रह,सामाजिक एवं व्यक्ति पक्ष का संश्लेष,रोमांटिक भावबोध से हटकर नवीन आधुनिकता से संपन्न भाव-बोध एक नए शिल्प को गढ़ता है। वादमुक्त काव्य,स्वाधीन चिंतन की व्यापक स्तर पर प्रतिष्ठा,क्षण की अनुभूतियों का चित्रण,काव्य मुक्ति, गद्य का काव्यात्मक उपयोग,नए सौंदर्यबोध की अभिव्यक्ति,अनुभूतियों में घनत्व और तीव्रता,राजनीतिक स्थितियों पर व्यंग्य,नए प्रतीकों-बिम्बों-मिथकों के माध्यम से तथा आदर्शवाद से हटकर नए मनुष्य की नई मानववादी वैचारिक भूमि की प्रतिष्ठा नई कविता की विशेषताएं रहीं हैं। अब इन विशेषताओं पर एक चर्चा- 1.अनुभूति की सच्चाई तथा यथार्थ बोध:- अनुभूति क्षण की हो या समूचे काल की,किसी सामान्य व्यक्ति (लघुमानव)की हो या विशिष्ट पुरुष की,आशा की हो या निराशा की वह सब कविता का कथ्य है। समाज की अनुभूति कवि की अनुभूति बन कर ही कविता में व्यक्त हो सकती है। नई कविता इस वास्तविकता को स्वीकार करती है और ईमानदारी से उ