द्विवेदी युग के कवि और उनकी रचनाएँ
आधुनिक कविता के दूसरे पड़ाव(सन् 1903 से 1916) को द्विवेदी-युग के नाम से जाना जाता है। यह आधुनिक कविता के उत्थान व विकास का काल है।सन् 1903 में महावीर प्रसाद द्विवेदी जी 'सरस्वती' पत्रिका के संपादक बने।द्विवेदी जी से पूर्व कविता की भाषा ब्रज बनी हुई थी।लेकिन उन्होंने सरस्वती पत्रिका के माध्यम से नवीनता से प्राचीनता का आवरण हटा दिया।जाति-हित की अपेक्षा देशहित को महत्त्व दिया।हिंदू होते हुए भी भारतीय कहलाने की गौरवमयी भावना को जागृत किया।अतीत के गौरव को ध्यान में रखते हुए भी वर्तमान को न भूलने की प्रेरणा दी।खड़ीबोली को शुद्ध व्याकरण-सम्मत और व्यवस्थित बना कर साहित्य के सिंहासन पर बैठने योग्य बनाया।अब वह ब्रजभाषा रानी की युवराज्ञी न रहकर स्वयं साहित्यिक जगत की साम्राज्ञी बन गई।यह कार्य द्विवेदी जी के महान व्यक्तित्व से ही सम्पन्न हुआ और इस काल का कवि-मंडल उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उनके बताए मार्ग पर चला।इसलिए इस युग को द्विवेदी-युग का नाम दिया गया।
इस काल के प्रमुख कवि हैं - सर्वश्री मैथिलीशरण गुप्त, अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔद्य', श्रीधर पाठक,गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही,'रामनरेश त्रिपाठी, नाथूराम शर्मा 'शंकर', सत्यनारायण 'कविरत्न', गोपालशरण सिंह, मुकुटधर पाण्डेय और सियारामशरण गुप्त, रामचरित उपाध्याय, जगन्नाथ दास रत्नाकर,लोचन प्रसाद पाण्डेय,रूपनारायण पाण्डेय आदि।
इन कवियों की प्रमुख काव्य -रचनाएँ इस प्रकार हैं :
01. मैथिलीशरण गुप्त (1886-1965 ई.) : 1.रंग में भंग 2.यशोधरा 3. साकेत 4.पंचवटी 5. द्वापर 6. जयद्रथ वध 7.जयभारत 8.गुरुकुल 9.शकुंतला 10.चंद्रहास 11.भारत-भारती ।
02. अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔद्य(1865-1941 ई.) : 1.प्रियप्रवास 2.वैदेही 3. बनवास 4. चौखे-चौपदे 5. चुभते-चौपदे 6. परिजात 7.काव्योपवन 8.प्रेम-प्रपंच 9.पद्यप्रसून।
03. श्रीधर पाठक(1859- 1928 ई.) : 1.एकांतवासी योगी 2. उजड़ा ग्राम 3.श्रांत-पथिक ।
04.महावीर प्रसाद द्विवेदी(1864-1938 ई.) : 1. काव्य-मंजूषा 2. कविता कलम 3.सुमन।
05. रामचरित उपाध्याय (1872-1943 ई.) : 1. राष्ट्रभारती 2.देवदूत 3.भारतभक्ति 4.मेघदूत 5.सत्य हरिश्चंद्र 6. रामचरित 7. चिंतामणि(प्रबंध-काव्य)
06. रामनरेश त्रिपाठी (1889-1962 ई.) : 1.पथिक 2.स्वप्न 3. मिलन 4.मानसी ।
07. सियाराम शरण गुप्त ( 1895- 1963 ई. ) : 1. मौर्य-विजय 2. नकुल 3. अनाथ 4. आत्मोत्सर्ग 5.बापू 6.विषाद 7.आर्द्रा 8.पाथेय 9.पाथेय 10. मृण्मयी 11. दैनिकी।
08. लोचन प्रसाद पाण्डेय : 1. मेवाड़ प्रेम ।
08. लोचन प्रसाद पाण्डेय : 1. मेवाड़ प्रेम ।
इन कवियों में से मैथिलीशरण गुप्त इस युग के प्रतिनिधि कवि ठहरते हैं।
padhkar bahut achchha laga ,dwedi ji ne wakai naya mukaam khada kiya ,sabhi ki rachnao ke baare me jaankar khushi hui .gyanwardhak post hai .
जवाब देंहटाएंYe vlog kafi acchu hai
हटाएंAgar kabhi aap ko koi baat yaad nhi hai to ye shandaar tarika hai turant answer janne ka
Saath me dwivedi yug Hindi sahitya ke itihaas me ek alag hi mukam rakhta hai
व्र्दिवेदी युग क्या है
हटाएंAp log bhut help kr rhe ho bacchon ki thq very much and jo bhi nyi imformation mile en sbke bare m use bhi add krte rhiye thq again
हटाएंhttps://www.hindigrema.com/2020/05/history-of-hindi-literature-modern-dwivediyug.html
हटाएंOk
हटाएंDwivedi Yug ki kavita do kavitaen bataiye
हटाएंUseful and informative post. Thanks.
जवाब देंहटाएंtippani dene aur utsah vardhan ke liye bahut bhaut dhanywad...
जवाब देंहटाएंद्विवेदी युग क्या है
हटाएंaapke pas shrikrinsha saral ji ke bare me yadi koi jankari ho , to jaroor bataiyega...
जवाब देंहटाएंNice
हटाएंIts use ful for all students that learn online... Thanks for a small help....
हटाएंthank you so much... itani zaroori aur khas jaankariyon ke liye... yahi baatein to hame pata nahi hoti... bas ham in kaviyon ko padhkar seekhte rahte hain...
जवाब देंहटाएंIs tarah ki koi jaankari ho to 9580639278 par watsaap par dena pleas okk
हटाएंयह पोस्ट बहुत ही सार्थक लगा । "सरस्वती पत्रिका " के प्रकाशन के बाद से साहित्य-जगत में एक नई साहित्यक क्रांति का संचार हुआ । .आज भले ही कोई साहित्य की किसी भा विधा में अपनी पहचान ऱखता हो किंतु इन तमाम सृजनशीलता के समक्ष द्विवेदी जी को भुला पानी शायद किसी के लिए संभव नही है । पोस्ट अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
हिन्दी साहित्य द्विवेदी युग से है । यह बहुत अच्छा विषय है। जो भी इस विषय को पड़ता हैं। उसका मन पसंद हो जाता है।
हटाएंयह सब जानकारी भूल-भुला गयी थी। इतने दिन बाद फिर से जानना अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंChandradhar Sharma guleri
हटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंme bahut khus huva hu.pahele to me aapsbko dhnyavad khetahu
जवाब देंहटाएंmuje aasha he ki aagebhi aap isprakar hindi-sahitya ki jankari
dete rahenge. jisse hindi-sahity ki jankari hame samay-samay
par milti rahegi sukriya
मला या कविता खुप खुप आवडल्या धा धन्यवाद
जवाब देंहटाएंTHANKS MANOJ SIR AAPNE HAME HINDI SAHITYA KE BAARE ME BADE HI SARAL TARIKE SE HAME AVGAT KARAYA USKE LIYE HEART SE EK BAAR PHIR SE EK BAAR ANEK ANEK DHANYAWAAD DETA HU OUR FUTURE KE LIYE ME AAPSE ANURODH KARTA HU KI AAP HAME ESI KNOWLEDGE DE JISSE KI PATHKO KO ACCHA LAGE.
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास
जवाब देंहटाएंAdi kal ka ek anya nam h (1 ) siddh samant kal (2) sringar kal (3) swad yug (4) alankrit kal
हटाएंमेेघ घिरते है घिरने दो
जवाब देंहटाएंकाली घटा को मचलने दो
हमे परवाह नही इनकी
क्यिूं की
ये बेरहम है
और नही तोो क्या ये सिर्फ मन के वहम है
खामोशी भरी राते
एक पाटी पर तड़पती हुयी
न खत्म होने वाली बाते
तुम आ जाते हो
बिन बुलायेे मेहमान की तरह
॥
मन मौजी
पर मेरे आंगन मे तुम्हारा इन्तजार नही
तुम्हारे लिए मेरे मन मे दुलार ननही
Nice
हटाएंVery nice
हटाएंKoi Tarik batao
जवाब देंहटाएंBahut khub
जवाब देंहटाएंBhot aachha lga
जवाब देंहटाएंpad ke bhut acha laga. ...
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंRam ram khna or khlvana yhe jendge ka mhathv h
जवाब देंहटाएंMujhe isse bahut helf Mili hai thanks
जवाब देंहटाएंसूर्य चला जाता है शाम होने पर दुख कट जाता है हर्ष होने पर
जवाब देंहटाएं☺
हटाएंYou r right
हटाएंisme nathuram singh 'sanker 'or
जवाब देंहटाएंgya parsaad ka ullekh nhi h
Very useful
जवाब देंहटाएंBhut achha h smajh bhi AA gya Yugo Main Kya antr h bhut bhut dhayvad
जवाब देंहटाएंPREM PRAKASH YADAV
जवाब देंहटाएंMOB-9793223718
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जवाब देंहटाएंद्विवेदी युग के कवि और उनकी रचनाएँ:
जवाब देंहटाएंhttps://www.hindisarang.com/2020/02/dwivedi-yug-ke-kavi-aur-rachnaye.html
इसे भी आपलोग देख सकते हैं।
Thankful you
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी
जवाब देंहटाएंअधिक जानकारी के लिए यह भी देख सकते हैं https://hindigrema.blogspot.com/2020/05/history-of-hindi-literature-modern-dwivediyug.html
आपका बहुत महत्वपूर्ण और ग्यान वर्धक है
जवाब देंहटाएंशिव बहादुर बिंद
जवाब देंहटाएंबहुत ही ग्यान वर्धक है
Indu patrika ke sampadak kaun hai
जवाब देंहटाएंकुछु कुछु कवि इनमें से विलुप्त
जवाब देंहटाएंTq sir
जवाब देंहटाएं