प्रयोगवाद के कवियों में हम सर्वप्रथम तारसप्तक के कवियों को गिनते हैं और इसके प्रवर्तक कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय ठहरते हैं। जैसा कि हम पहले कह आए हैं कि तारसप्तक 1943 ई. में प्रकाशित हुआ। इसमें सातकवियों को शामिल किए जाने के कारण इसका नाम तारसप्तक रखा गया। इन कवियों को अज्ञेय ने पथ के राही कहा। ये किसी मंजिल पर पहुंचे हुए नहीं हैं,बल्कि अभी पथ के अन्वेषक हैं। इसी संदर्भ में अज्ञेय ने प्रयोग शब्द का प्रयोग किया, जहां से प्रयोगवाद की उत्पत्ति स्वीकार की जाती है। इसके बाद 1951 ई. में दूसरा,1959 ई में तीसरा और 1979 में चौथा तारसप्तक प्रकाशित हुए। जिनका संपादन स्वयं अज्ञेय ने किया है। आइए,सर्वप्रथम हम इन चारों तारसप्तकों के कवियों के नामों से परिचित हो लें। 1. तारसप्तक के कवि: अज्ञेय,भारतभूषण अग्रवाल,मुक्तिबोध,प्रभाकर माचवे,गिरिजाकुमार माथुर,नेमिचंद्र जैन,रामविलास शर्मा। 2. दूसरे तारसप्तक के कवि: भवानीप्रसाद मिश्र, शंकुत माथुर, नरेश मेहत्ता,रघुवीर सहाय,शमशेर बहादुर सिंह,हरिनारायण व्यास,धर्मवीर भारती। 3. तीसरे तारसप्तक के कवि: प्रयागनारायण त्रिपाठी, कीर्ति चौधरी, मदन व...
अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंHello 👋🤩
हटाएंThanks
जवाब देंहटाएंAadikal ka namkarn
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