जैन धारा के मुख्य कवि और उनकी रचनाएँ
आदिकाल में निम्न चार धाराएँ मुख्यत: प्रवाहित रही :
- जैन धारा
- सिद्ध धारा
- नाथ धारा
- लौकिक धारा
- स्वयम्भू : १.पउम चरिउ ,२.रिट्ठणेमि चरिउ, ३.पचाम चरिउ , ४.स्वयम्भू छंद
- पुष्पदंत : महापुराण, णायकुमार चरिउ, जसहर चरिउ, कोश ग्रंथ
- हेमचंद्र सूरी : कुमारपाल चरित, हेमचंद्रशब्दानुशासन
- मुनि राम सिंह :पाहुड़ दोहा
- जोइन्दु : परमात्म प्रकाश
- धनपाल धक्कड़ : भविसयत कहा, बाहुबलि चरित
- सोमप्रभ सूरी : कुमारपाल प्रतिबोध
- मेरुतुंग : प्रबंध चिंतामणि
- धर्म सूरी : जम्बू स्वामी रास, स्थूलिभद्र रास
- देवसेजमणि : सुलोचना चरिउ
- मुनि कनकाभर : करकंड चरिउ
- धवल : हरिवंश पुराण
- वरदत्त :बैरसामि चरिउ
- हरिभद्र सूरी : णाभिणाह चरिउ
- धाहिल : पउमसिरी चरिउ
- लक्खन : जिवदत्त चरिउ
- श्यधू : धन कुमार चरित
ek bahut ki acha praytan itihaas ke paano ko phit se dohraane ka
जवाब देंहटाएंbadhai ho
Apka prayas bahut hi uttam hai hamare jaise kshatron ke liye ye bahut hi uttam hai becaz mai ab job karta hun aur parne ka time hi nahi mil pata hai
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